लौटना
लौटना
दिखाई नहीं देगा
लेकिन वो
एक दिन लौट जाएगी
तुम नहीं जान पाओगे
समुंदर होने का गुरुर
तुम्हारी आँखों में
अट्टहास कर रहा है
ये मैंने उस वक़्त जाना जब तुम
उगते सूरज को दिखा कर बोले
ये देखो
मुझसे ही उगता है और
मुझमें ही डूबेगा भी
मैं जानती हूँ कि
तुम नहीं जानते
मेरी नज़र अब तुम को भेद कर
उस पार की तबाही के
मंज़र का तर्जुमा करती है
तमाम घटनाओं और
दुर्घटनाओं के वजूद की धार लिए
अदम्य साहस से भरी मैं
जब हज़ारों वर्षों से तुमसे
मिलनेचलती चली आ रही हूँ तो
एक दिन पलट कर भी चल दूँगी
देखो !
बिल्कुल भी अच्छा नहीं
कलयुग का भी अंत कर सकता है
नदी का उल्टे पाँव लौटना !