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Poonam Bhargava

Others

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Poonam Bhargava

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नशा

नशा

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आदतें नशीली होतीं हैं

आदी बनी रहती हैं

दिल की ओखली में 

कितना भी कूटो इश्क़

कितना भी बांधो पुड़िया में

बिखर कर रूह के रेशे भी

मोहपाश में जकड़े रक्स करते हैं


नीम बेहोशी में 

नशीली दवाओं की

गिरफ़्त से छूट अचानक एक याद 

रीढ़ की हड्डी में बिजली की लहर सी दौड़ती है

ग़फ़लत में बैठा हुआ पाती हूँ खुद को साहिल पर


न जाने कौन-कौन सी नदियों से

लम्बा सफऱ तय कर

एक सीपी आकर 

पांव को छूती है बार-बार 

देती है अनचीन्हे सन्देश 

उसकी भाषा के मर्म बूझती हूँ 

चौंकती हूँ उसकी बात पर 

जो कहती है

यकीन जानो 

प्रतिक्षाएँ अपूर्ण ही अच्छी होतीं हैं

तुम ऐसा करो

विरह छोड़ जाओ

मेरे जिस्म से मोती लेकर

गालों पर ठहरे 

दो आँसू मुझमें रख जाओ 

सौंप कर तुम्हारी धरोहर 

मैं बताऊँगी समुद्र को

एक अनुरागिनी आती थी ख़ाली कर जाती थी ख़ुद को

और भर जाती थी नीर 

कभी भी ख़ाली नहीं हुई नदी

सिर्फ़ इसीलिए 

टूटा नहीं कभी

तुम्हारा गर्वीला नशा.....!!!



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