लालच
लालच
बचपन से सिखाया हैं लालच नहीं करते
लेकिन कहाँ फीकी पड़ जाती हैं वो शिक्षा बड़े होते होते
हर कदम पर देखने को मिल जाएगा ये
होती तो लालच बुरी बला हैं
हर रिश्ते को निगल जाती हैं
क्या पता लगता तुमको वहाँ हैं
समेट लो अपने जीवन के हसीन लम्हों को
इस लालच में क्या रखा हैं
लालच करना हैं तो अपनो की करो
परिवार की ख़ुशियों की करो
हो सके तो समाज में जागरूकता फैलाने का लालच करो।
