क्या करें, क्यों करें
क्या करें, क्यों करें
क्या करें, क्यों करें, किसके लिए करें,
कोई तो हमें समझाए।
मिला है मानव जन्म हमें,
तो कुछ अच्छा कर जाए
ताकि ये जीवन सफल हो जाए।
कितना कुछ हम लोगों ने,
देश-दुनिया को बदल दिया।
पर खुद को हम बदल न पाए,
बढ़ते दूसरों के कदमों को,
खींचकर पीछे जरूर हम लाए…
पर खुद की सोच को
हम कभी बदल नहीं पाए।
जरा सोचो-समझो, करो विचार,
क्या करने जा रहे हो यार।
किया नहीं कभी भी जीवन में,
जनहित का तुमने कोई काम।
फिर क्यों उम्मीदें रखते हो,
जनप्रतिनिधि बनने की…
क्या ऐसे लोगों को समाज अपनाएगा ?<
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सुख-दु:ख में जो साथ दे,
वही इंसान हमें प्यारा लगता है।
अपना न होकर भी अपनों से,
बढ़ कर हमें वो लगता है।
क्योंकि ऐसे लोगो के दिल में,
इंसानियत का जज्बा जिंदा रहता है।
कर गुजरेंगे कुछ इस तरह से यारों,
कि इतिहास के पन्नों को हम
लोगों से उलट-पलट करवा देंगे।
भूत-भविष्य की सोच रखने वालों को,
वर्तमान में जीने की कला सिखला देंगे।
मिला है मानव जन्म तो कुछ,
देश समाज के लिए करके दिखाओ।
खुद के लिए तो हर कोई जीता है,
कभी दूसरों के लिए जीकर दिखलाओ…
और अपने इस जन्म को सार्थक कर जाओ।