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anuradha chauhan

Romance

3  

anuradha chauhan

Romance

क्या झूमोगे साथ मेरे

क्या झूमोगे साथ मेरे

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क्या झूमोगे साथ मेरे,

फागुन की फुहार।

कह रही पुरवाई हौले,

छेड़ दिल के तार।


मंद चलती पवन बसंती,

मन मोहे झूमती।

बागों में कोयल की तान,

कान रस घोलती।


खोल घूँघट हँसतीं कलियाँ,

खिल आई बहार।

क्या झूमोगे साथ मेरे,

फागुन की फुहार।


सुहानी हर भोर झूमके,

तार मन छेड़ती।

ऋतुराज संग खिल सुनहरी,

धूप तन सेंकती।


धड़कन का हर साज बोले,

बसंत ही बहार।

क्या झूमोगे साथ मेरे,

फागुन की फुहार।


फूले पीले फूल सरसों,

चूनर लरहाए।

मधुमास के रंग रंगी,

हवा तन सुहाए।


बरसते हैं रंग घनेरे,

अद्भुत है बहार।

क्या झूमोगे साथ मेरे,

फागुन की फुहार।


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