क्या आ रहे हो तुम...?
क्या आ रहे हो तुम...?
झट से वो गीत याद आया है मुझे,
सुना रहीं हूँ तुम्हें
क्या सुन रहे हो तुम ?
जो वो लखनवी ओढ़नी है न दुकान में,
दिखा रही हूँ तुम्हें
क्या देख रहे हो तुम ?
देखो तुम्हारी बिल्ली लौट आयी बाहर से
क्या उसका खाना ला रहे हो तुम ?
ज़रा देखो तपती तसली छू गई मेरी बाहें,
ये जले का निशाँ दिखा रही हूँ तुम्हें
क्या सहला रहे हो तुम ?
अभी उतारा है चूल्हे पर से
ब्रेड-ऑमलेट तुम्हारे लिए
क्या उतावले हो रहे हो तुम ?
वो जो कंधे पे दर्द है तुम्हारे,
बैठी हूँ मलहम ले के
क्या आ रहे हो तुम।