कविता - अंधविश्वास
कविता - अंधविश्वास
संसार में फैला अंधविश्वास चारों ओर है
खुद ही देते बढ़ावा और करते प्रचार अंधविश्वास का है
अच्छे से अच्छे रिश्ते को करता चकनाचूर है
मन में भरता नफरत के भाव जब होता अंधविश्वास है
जब किसी के प्रति अंधविश्वास घर कर जाता है
उसका जीवन बड़ा कष्टकारी बन जाता है
न होता किसी के लिए प्रेम उसका वो दुश्मन बन जाता है
जब होता अंधविश्वास हर रिश्ता कमजोर पड़ जाता है
न दिल से हम उसको निभा पाते न ही अपना सकते है
अंधविश्वास के नाम पर लोगों को लूटा जाता है
पूजा पाठ, मंत्र तंत्र, न जाने क्या क्या जाता है
अंधविश्वास के नाम पर धन लुटा जाता है
किसी की भी आस्था को ठेस पहुंचाई जाती है
अंधविश्वास के नाम पर हो रहे अत्याचार को रोकना है
अंधविश्वास के नाम पर होने वाले शोषण से सबको बचाना है
आज की पीढ़ी को इसके लिए हमें जागरूक बनाना है।