कुंडलिया : "मुहूर्त"
कुंडलिया : "मुहूर्त"
आणा दुनिया म्ह दिखे, कोन्या तेरै हाथ।
जाणे का भी टेम ना, भरै खामखा बांथ।
भरै खामखा बांथ, बात ले मान हमारी।
सब दिन हुवै समान, जान लो सभ नरनारी।
खूब मुहूर्त साध, फोकटी कुछ ना पाणा।
छोड़ मुहूर्त बाण, हाथ ना कुछ भी आणा।