कुछ ना कहेंगे
कुछ ना कहेंगे
जलते दीये रहते थे
और रहेंगे
सितम ढा लो हम
कुछ ना कहेंगे
इसी गुंजाइश में
हर एक ख़्वाहिश में
कि तराना इस दिल का
सारी रुकावटों को भेद देगा
और नज़राना वो तिल
अनदेखी करवट अभेद लेगा
हम जो करते थे वो
करते रहेंगे
सितम ढा लो हम
कुछ ना कहेंगे
एक नई आज़माइश में
उस नूर की नुमाइश में
जैसे बिताते थे कल उसी
तरह आज भी खेद रहेगा
अनुवादन तुम्हारा ही
पहले अनुच्छेद में रहेगा