कुछ अधूरा सा
कुछ अधूरा सा
जुबां पर आते-आते रह जाता कुछ अधूरा सा,
तुझे सुनाना चाहूं,
पर सुना ना पाऊं........
गुलाब की पंखुड़ियों सी कोमल,
ऐसे कुछ एहसास अभी बाकी है......
हर पल तेरी नाराजगी का दर्द वो गहरा,
आकर अंखियन की कोरों पर ठहरा,
हिम कणों सा ये अश्क
अभी पिघलना बाकी है .....
तेरे दिल में मेरे जज्बात
मेरे दिल में तेरे एहसास
उमड़- घूमड़ रहे ऐसे ....जैसे,
बनकर सावन की घटा
अभी बरसना बाकी है ........
तुझे हर पल चाहत मेरी खुशियों की,
मैं करूं तेरी सलामती की दुआ हर क्षण,
दुआ कबूल हो हम दोनों की,
रब से यह अरदास अभी बाकी है ......
तुम सुनते मुस्कुरा कर मेरी हजारों अनर्गल बातें,
मैं पढ़ती हूं तेरी खामोशियां,
इस दिल से उस दिल तक,
झंकृत होते एक दूजे के जज्बात,
कभी तो समझोगे मुझे,
मेरे दिल में यह विश्वास,
अभी बाकी है........