क्षणिक प्रेम
क्षणिक प्रेम
एक समय था जब
प्रेमी-प्रेमिका मिलते थे
फुलवारी में,
फूलों की वादियों के बीच
एक दूसरे के कपोलों को चूमकर
प्रेमपत्र सौंपकर
करते थे प्रेम का इजहार
एक दूसरे के गले मिल
बाँटते थे सुख-दुख
लेकिन....
आधुनिकता की दौड़ में
अब प्रेमपत्र का स्थान
मोबाइल ने ले लिया है
अब फुलवारी नहीं रही
उसकी जगह ह्वाट्सएप,
फेसबुक ने ले लिया है।
अब नहीं रहा सरोकार
एक-दूजे के दुख-सुख का
अब प्रेम स्थायी नहीं रहता
बल्कि रह गया है
क्षणिक.....।