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मिली साहा

Romance Tragedy

4.8  

मिली साहा

Romance Tragedy

तुम संग हर ख़्वाब सजाया

तुम संग हर ख़्वाब सजाया

1 min
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तुम संग ही तो हर ख़्वाब सजाया था,

खुशियों का एक आशियां बनाया था,

क्यों चले गए तुम, तन्हा छोड़कर हमें,

आखिर कौन सा गुनाह कर दिया था।


पुकार रहे तुम्हें, इन आंँखों के ख़्वाब,

कैसी बेरुखी है ये, कुछ तो दो जवाब,

कांँच की तरह टूटकर बिखरी ज़िंदगी,

तुम बिन तन्हा हम,तन्हा हमारे ख़्वाब।


तुम से बिछड़कर, जी कहांँ रहे हैं हम,

बस इन सांँसो का बोझ, ढ़ो रहे हैं हम,

तुमने ही सिखाया हमें, ज़िन्दगी जीना,

हर एक लम्हे में तुम्हें ही ढूंढ रहे हैं हम।


वो तुम्हारा खिलखिलाकर मुस्कुराना,

दर्द में भी सहज ही खुशियाँ ढूंँढ लेना,

तुम बिन मायने बदल गए ज़िन्दगी के,

तुम थे तभी हर रंग लगता था सुहाना।


जीवन महकता था तुम्हारे ही आने से,

काश! कि रोक पाता तुम्हें, यूँ जाने से,

अब ना कोई मंजिल है और ना ख़्वाब,

ख़त्म ही सफर ये तुम्हारे चले जाने से।


ढूंँढ़ती हैं तुम्हें ही मेरी नजरें हर लम्हा,

क्यों ये लंबी ज़िंदगी और सफ़र तन्हा,

क्या सुनाई नहीं देती तुम्हें कोई पुकार,

आखिर कुछ तो करो इशारा, हो कहांँ।


सजाते हैं रोज हम, यादों की महफ़िल,

अब यही हमारी दुनिया है यही मंजिल,

बेबस लाचार करते हैं खुद को महसूस,

किस्मत के आगे हार गया, हमारा दिल।


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