क्रोध
क्रोध


कोई बात
बुरी लगे तो
उसपर क्रोधित होना
आवश्यक है
लेकिन फिर
उसपर नियंत्रण कर पाना
उससे भी ज्यादा आवश्यक है
क्रोध एक ज्वाला की
तरह है
वह भड़के तो
उसे कोई भी यत्न
करके बुझाइये
इससे निजात पाइये
खुद को राहत का अहसास
करवाइये और
फिर से
कमर कसकर
इस अनुभव से कोई सीख
लेकर
जीवन के अग्निपथ पर
एक अग्नि उगलते सूरज से नहीं बल्कि
एक दमकते सूरज से
आगे बढ़ते जाइये।