कोरोना योद्धाओं का समर्पण
कोरोना योद्धाओं का समर्पण
माना है विपदा भारी बड़ी,
संकट में है सांसो की लडी
घर से बाहर निकलते ही खतरे में जान है,
मजबूर परेशान अब हर इंसान है
लेकिन कुछ कर्तव्यनिष्ठ साहसी
सेवाभावी योद्धाओं ने ठानी है,
डटे रहेंगे अड़े रहेंगे निरंतर निशर्त निसंदेह
सुबह से शाम शाम से रात रात से फिर सुबह तक,
बिना थके बिना रुके भूख प्यास नींद से लड़कर
इरादे जिनके चट्टानी है, हां कुछ ऐसे ही योद्धाओं
ने मानवता को बचाने की ठानी है
हां डर इन्हें भी लगता है मौत का,
तकलीफ़ इन्हें भी होती है अपनों से दूर रहकर
भाई-बहन, पति-पत्नी, बेटा-बेटी,
मां-बाप, दोस्त है ये किसी के,
हर सुबह-शाम कोई इंतजार करता है इनका
उम्मीदें, सपने, वर्तमान,
भविष्य दांव पर लगा है जिनका,
हां डर इन्हें भी लगता है कि
यह सब अधूरा ना रह जाए कहीं।
पर आर पार लड़ने की इन्होंने जो ठानी है,
मानवता का श्रेष्ठ धर्म निभाकर ही मानवता बचानी है
सड़क पर तैनात रहकर नियम का पालन करवाते,
घर-घर जाकर लोगों की चिकित्सा करते,
चोबीसों घंटे सड़क पर कैमरा लिये खड़े,
जो सप्ताहों तक घर को जाना भूल गए,
हां कुछ ऐसे ही योद्धाओं ने भारत के वर्तमान
और भविष्य को बचाने की ठानी है
हां कुछ ऐसे ही योद्धाओं ने
मानवता को बचाने की ठानी है।
डॉक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी, प्रशासन,
मीडिया, सेना, सफाई कर्मी,
बिजली कर्मी, राशन वाले, दूधवाले,
अखबारवाले हमें गर्व है इन योद्धाओं पर
एक दिन जब यह दौर बीत जाएगा उम्मीद,
उत्साह, उमंग से जब जग जगमगाएगा
तुम सब का नाम किस्से
कहानियों में गर्व से लिखा जाएगा।
मिसाले दी जाएगी कई के मानवता को बचाने के
लिए कुछ योद्धाओं ने राष्ट्र ही सर्वोपरि की प्रतिज्ञा निभानी है,
हां कुछ ऐसे ही योद्धाओं ने मानवता को बचाने की ठानी है।
अंत में देश के योद्धाओं का उत्साह,
उमंग, आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उनका गौरव
और अस्मिता सदैव बना रहे यह अंत की 2 पंक्तियां।
था तो महाभारत का युद्ध भी भीषण बड़ा,
जीता था उसको कर्मवीर कर्मयोगी शूरवीरों ने ही
है तो लड़ाई यह भी लंबी बड़ी,
विश्वास है मुझे इन योद्धाओं पर जीतेंगे हम लोग निसंदेही
जितना धैर्य बनाए रखा अब तक उतना ही आगे बनाए रखेंगे,
योद्धाओं के जीत का ज्योत सदैव ही जलाए रखेंगे
फिर से मानवता सिद्ध कर देश के गौरव को बढ़ाएंगे
और मिलकर कोरोना को हरायायेंगे।
