एक समय ऐसा भी
एक समय ऐसा भी
सुनसान सा यह जग हो गया,
वीरान सड़के, मोहल्ला, चौक हो गया,
घर से बाहर निकलना बेहाल सा हो गया,
प्रकृति की विपदा में इस बार पूरा विश्व फस गया।
बच्चे- बुजुर्गों को एक बार फिर से अपनों का साथ मिल गया,
हर घरों में पुराने खेलों का दबदबा ज़ोरों से गूंज उठा,
पंछी- जानवरों ने भी कुछ दिन आज़ादी का अनुभव किया,
आखिर मनुष्य भी कैद का मतलब चंद महीनों में अच्छे से समझ गया।
रामायण- महाभारत जैसे कार्यक्रम फिर से प्रसारित हो गए,
सीता- द्रौपदी पर अत्याचारों की चर्चा एक बार ओर हर घरों में गूंज उठी,
लॉकडाउन में औरतों की कीमत अच्छे से समझ
आ गई,
कभी ना अपने काम से रिटायर होने वाली औरतें अपनी जिम्मेदारी देश बंद होने पर भी निभाती रही।
भाग- दौड़ वाली जिंदगी से कुछ समय अपने आप को निखारने को मिला,
अपरिचित खूबियों को एक बार तराशने का मौका मिला,
जिंदगी एक रेल है कुछ समय रुकना भी जरूरी है,
क्योंकि बदलाव को अपनाने के लिए कुछ समय का विराम भी जरूरी है।
अनजान और अपनों का फरक अच्छे से पता चल गया,
मुसीबत के समय में परिवार के साथ का महत्व अच्छे से समझ आ गया,
जिंदगी स्वयं की दौड़ है कोई रिश्ते पर आधारित नहीं,
क्योंकि अपनी अंतरात्मा को समझना कोई बहुमूल्य शिक्षा से कम नहीं।