कोरोना का कहर
कोरोना का कहर
जाने ये कैसा कोरोना का कहर है,
कैद में हर गली, गाँव और शहर है,
खामोश सुबह, शाम, आठों पहर है,
जाने किसने फैलाया कुदरत में जहर है।
सारे जहाँ में कोरोना का घातक असर है,
अमीर, गरीब, हर उम्र पर इसकी नज़र है,
रोजगार, व्यापार की तोड़ी इसने कमर है
अभी इलाज इसके सामने लाचार, बेअसर है।
हर तरफ उदासी, खौफ सिर्फ इसका ही जिक्र है,
जिन्दगी कैसे बचेगी, अब सबको यही फिक्र है,
दुश्मन ये कैसा जो सबकी आँखों से बेनजर है,
लाशों के लिए खुद रही ना जाने कितनी कब्र है।
तबाह लाखो को कर दिया कैसा इसका हुनर है
और कितनो की जान लेगा बड़ा कितना तेरा जिगर है
मगर होसले हमारे भी टूटे नहीं, भले दूर सहर है
तेरी मौत का सामान यहाँ बनायेगे, हम वो बसर है
वोह दिन अब दूर नहीं, तेरे पैर हम उखाडेगे,
घेर कर चारो ओर से, तुझे भारत से पछाडेगे,
हम हिन्दुस्तानी तेरे जुल्मो से अब हम ना हारेंगे,
दवाई तेरे जहर की बनाकर, तुझे बेरहमी से मारेंगे।