कोरोना और इंसान
कोरोना और इंसान
देश जब महामारी से मर रहा था
हर कोई रोकथाम का प्रयत्न कर रहा था
इधर सरकार ने विनती की थी घरों में रहने की
उधर वायरस का भय लोगों के दिलों में घर कर रहा था
धीरे-धीरे हालात बिगड़ते जा रहे थे
अब जनता के कानों पे आदेश असर कर रहा था
इस सब के बीच कुछ लोग सड़कों पर फंस गए थे
तो कोई गरीब बिना अन्न के घर पर ही मर रहा था
ऐसे में भी कुछ देवजन भोजन बांटते फिरते थे
डॉक्टर, पुलिस का हर जवान हिम्मत से लड़ रहा था
देश की स्थिति अब बदतर होती जा रही थी
तभी कुछ लोगों के मन में द्वेष बढ़ रहा था
जब जवान जीवन देने का काम संभाल रहे थे
तब वो भटका इंसान उनपर थूक कर अपमान कर रहा था
ना जाने कौन सी तालीम दी गई थी उसे
वो एकलौता पूरी कॉम का नाम बदनाम कर रहा था
अगर अल्लाह है कहीं तो उसे समझा दे आकर
वो अपने संग पूरे परिवार की मौत का इंतज़ाम कर रहा था।