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Dr. Akansha Rupa chachra

Romance

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Dr. Akansha Rupa chachra

Romance

कोमल दिल

कोमल दिल

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दिल अति कोमल तंतु है, रखना इसे सँभाल।

दिल व्यापक अवधारणा, इस में भर मधु भाव।

अपने मधुरिम भाव से, धो घायल के घाव।।

दिल से सबसे बात कर, पूछ सभी का हाल।।


दिल से दिल को जोड़ कर, नाप सकल संसार।

दिल ही नियमित स्वच्छ हो,करते रहना साफ।

इक उत्तम इंसान बन, कर दो सबको माफ।।

एक सूत्र में बाँध कर, रच ऐकिक परिवार।।


दिल ही असली तत्व है, दिल से हो हर कर्म।

दिल की सुनो पुकार नित, दिल से हो संवाद।

दिल के मीठे बोल सुन, दुनिया हो आवाद।।

दिल का संरक्षण करो, यह अतिशय शुचि धर्म।।


दिल से बुद्धि-विवेक से,जो करता व्यवहार।

ऐसे पावन मनुज से,करता जगत प्यार।।



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