Prashant Bebaar
Abstract
कोई तो इनफ़िरादियत रही होगी मुझमें
जो ढूँढ रही हो तुम , सबको आज़मा कर!
लोग बैठे हैं ...
हौसला
फूल दिल तक़दी...
प्यास हूँ सहर...
कार के शीशे म...
ऐसे भी ग़म होत...
कोई तदबीर हो ...
जागी पलकों पे...
मीलों की दूरी...
आँखों में जो ...
फिर दुनिया के सामने तांडव करके ,अपने तीसरे नेत्र से हमें भस्म कर जाते। फिर दुनिया के सामने तांडव करके ,अपने तीसरे नेत्र से हमें भस्म कर जाते।
फिर क्यों नहीं करते अधिकारों का प्रयोग जब वो कहे अरे ये क्या नोटा दबा कर निकल गया..! फिर क्यों नहीं करते अधिकारों का प्रयोग जब वो कहे अरे ये क्या नोटा दबा कर निक...
कितने बेरोजगार और कमजोरों की कमजोरी का फायदा उठाया है। कितने बेरोजगार और कमजोरों की कमजोरी का फायदा उठाया है।
मुसाफिर जिस जगह पर मनभेद नही है समझ लेना कि घर वही है। मुसाफिर जिस जगह पर मनभेद नही है समझ लेना कि घर वही है।
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते वो अल्फ़ाज़ क्या समझेंगे पर जो खामोशी नहीं समझ सकते वो अल्फ़ाज़ क्या समझेंगे
मुख मोड़ दे कल कल कर बहती हुई निर्भीक निर्झरा का..!! मुख मोड़ दे कल कल कर बहती हुई निर्भीक निर्झरा का..!!
कर रही प्रकृति स्वागत वसंत ऋतु का, छाई है बहार चैरी ब्लॉसम की। कर रही प्रकृति स्वागत वसंत ऋतु का, छाई है बहार चैरी ब्लॉसम की।
नौ दिन तक उपवास कराएं। आओ अपना नव वर्ष मनाएं । नौ दिन तक उपवास कराएं। आओ अपना नव वर्ष मनाएं ।
सोच में पड़ गए प्रभु सुनकर जब तर्क-वितर्क सुने जो उन सब के सोच में पड़ गए प्रभु सुनकर जब तर्क-वितर्क सुने जो उन सब के
प्रेमी दिल बड़ा कर इनकार करता नहीं...मैं तो बस बता रहा प्रेमी दिल बड़ा कर इनकार करता नहीं...मैं तो बस बता रहा
परमधाम हो हमारा क्षितिज, सदगुण हो जीवन का आधार। परमधाम हो हमारा क्षितिज, सदगुण हो जीवन का आधार।
अधिक प्रगाढ़ और मधुर हो जाते हैं, देखने वाले भी आश्चर्य में पड़ जाते हैं । अधिक प्रगाढ़ और मधुर हो जाते हैं, देखने वाले भी आश्चर्य में पड़ जाते हैं ।
ये लोग किसी जाति के नहीं थे ये बुरे और दुष्ट लोग थे। ये लोग किसी जाति के नहीं थे ये बुरे और दुष्ट लोग थे।
क्यों इतना हठ कर बैठी हो राधे, तुम बिन नीरस होली ढोल ताशे, क्यों इतना हठ कर बैठी हो राधे, तुम बिन नीरस होली ढोल ताशे,
भीगी पिडंलियाँ, भीगा वक्ष यौवन सारा । मदमस्त था यमुना क भी वह किनारा भीगी पिडंलियाँ, भीगा वक्ष यौवन सारा । मदमस्त था यमुना क भी वह किनारा
हूं तो मैं भी एक इंसान मगर फिर भी, हमदर्दी के दो बोल भी सुनने न पाई हूं। हूं तो मैं भी एक इंसान मगर फिर भी, हमदर्दी के दो बोल भी सुनने न पाई हूं।
ये भोली सूरत बनाकर, दिल के टुकड़े टुकड़े कर जाना। ये भोली सूरत बनाकर, दिल के टुकड़े टुकड़े कर जाना।
मेरी हर बेचैनी की तकलीफ़, तेरी आँखों में दिखती थी माँ, मेरी हर बेचैनी की तकलीफ़, तेरी आँखों में दिखती थी माँ,
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जिसे प्राप्त वरदान। प्रज्वलित अग्नि ज्वाला में सुरक्षित रहत हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जिसे प्राप्त वरदान। प्रज्वलित अग्नि ज्वाला में सुर...
तुम्हारे सिवा सब थे यहाँ मैं, तुम्हारी यादें और मेरी वेदनाओं के अवशेष तुम्हारे सिवा सब थे यहाँ मैं, तुम्हारी यादें और मेरी वेदनाओं के अवशेष