कोई रंग नही होता,
कोई रंग नही होता,
कोई रंग नही होता,
बरसात के पानी मे।
फिर भी फिजा को,
रंगीन बना देता है।।
नाच उठते है लोग,
सिर्फ इसके आने से ।
मोर का पंख और भी,
हसीन बना देता है।।
रात की तनहाई को,
चीर देते है दादूर भी।
झिगूर भी बोलकर,
नमकीन बना देता है।।
एक तो बरसात और,
उस पर अंधेरी रात।
,खामखा लोगों को,
शौकीन बना देता है।।