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क्लास में क्रश

क्लास में क्रश

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मुझे क्लास तो नहीं याद कौन सी थी 

पर वो दिन है याद जब आकर्षित हुई थी उस पर पहली बार ,

वो दिन था उसकी रेस कोम्पटीशन का जब भाग रहा था वो धीमे धीमे

पर जैसे ही नज़रें उसने मेरी ओर फेरीं

मुस्कुरा दिया उसने और दौडा़

सबसे दूर।


 उसकी क़ातिलाना मुस्कुराहट पर फ़िदा मै तभी हो गयी थी 

पर स्कूल क्रशिस से तो लगभग हर टोपर डरती है, 

तो कुछ साल बदले सेक्शन बदले।


11थ में फिर आये हम साथ 

थोड़ी बड़ी हो चुकी थी

अट्रैक्शन और लव में भेद करने की ज़रूरत समझ चुकी थी,

चाहत अब उसकी सच कहूं तो ज़्यादा नहीं रही थी

पर हाँ कहानी अभी बाक

ी था.

अब मेरी दिलचस्बी से ज़्यादा उसकी चाहत मेरे साथ होने की थी ,

अब उसके सपने मैं तो पता नहीं पर मेरे ख्वाब वो देख रहा था हर रात,

वो ख्वाब कैसे और कब से है जाना नहीं पर कुछ तो है पूरा है यकीन।


यक़ीं मुझे उसने उस पल कराया था 

जब रात में बेवक़्त मैसेज उसका मेरे फोन पर आया था,

 ब.फ. है या नहीं जाने के लिए इन्वेस्टीगेशन का सहारा लिया

अपनी नेट बॉल की टीम में हर बार शामिल मुझे कराया,

और मौका होने पर मेरा एक हाथ

अपने दोनो हाथों के बीच में कस के रखवाया था ,

इसी तरह मेरा क्रश

जिसकी कभी मै क्रश हुआ करती थी ने

मुझे शाय फील कराया था।


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