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Kanchan Kushwaha

Abstract

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Kanchan Kushwaha

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कितना अच्छा सपना था

कितना अच्छा सपना था

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सपना था

कितना अच्छा सपना था...

देखा था,सोचा था,अपना था।

तेरे नैन मिले मेरे नयनो से...

तेरे नैनो की कशिश मोती सा था।


तेरे लब मेरे लब छूने को थे...

तेरी सांसो की गरमाहट जलती आग सा था...!!!

तू सिमट गया मैं बिखर गई...

दिल भी टुटा तार - तार सा था...!!

तू चला गया मैं ठहर गयी....

मेरा रास्ता ही गुमराह था...!!


तू साथ था मेरे,मैं साथ थी तेरे...

बड़ा प्यारा सा वो ख्वाब था,जो भी था अपना था....

कितना अच्छा सपना था...

देखा था,सोचा था,अपना था...


बड़ा ही प्यारा सपना था...

सपना ही मेरा अपना था।


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