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Kanchan Kushwaha

Others

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Kanchan Kushwaha

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प्रेम और वासना में फर्क

प्रेम और वासना में फर्क

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प्रेम और वासना में जरा सा फर्क...


वासना तनाव लाती है, प्रेम विश्राम लाता है...

वासना अंग पर केंद्रित होती है, प्रेम पूरे पर....!!


वासना हिंसा लाती है, प्रेम बलिदान लाता है...

वासना में तुम झपटना चाहते हो, "कब्जा करना", ..!!


प्रेम देना चाहता है समर्पण करना..!!

वासना कहती है जो मैं चाहूँ वही तुम्हें मिले,

प्रेम कहता है जो तुम चाहो वही तुम्हें मिले...


वासना ज्वर और कुंठा लाती है....

प्रेम उत्कंठा और मीठा दर्द पैदा करती है....!!

वासना जकड़ती है, विनाश करती है.....

प्रेम मुक्त करता है, स्वतंत्र करता है....!!

वासना में प्रयत्न है, प्रेम प्रयत्नशील है...

वासना में मांग है, प्रेम में अधिकार है...


वासना दुविधा देती है, उलझाती है

प्रेम केंद्रित और विस्तृत होता है...!!

वासना केवल नीरस और अंधकारमय है,

प्रेम के अनेक रंग बिरंगे रूप है

प्रेम इंद्रधनुष के रंगों से रँगी तितली है...!!


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