Raj mevada
Fantasy Children
किताबों से नाता बहुत गहरा है मेरा ,
तभी तो
पढ़ते वक्त मुस्कुरा देता हे चेहरा मेरा।
शब्द
संघर्ष
लफ़्ज़
जिंदगी
सफलता
मेरे वक्त में
डायरी में
दिखावे की दुन...
चेहरा
'कांपती पत्ती गुलाब की, यूँ अधरों को में रूप देता, फिर सिखा तुझे नाम अपना, तुझसे नया सा सुन लेता।' ए... 'कांपती पत्ती गुलाब की, यूँ अधरों को में रूप देता, फिर सिखा तुझे नाम अपना, तुझसे...
फिर हवाओं में कहीं गुम हो जाती वो फिर हवाओं में कहीं गुम हो जाती वो
आँखें, जब किसी की पानी से भरी हुई परातें बन जाएं... आँखें, जब किसी की पानी से भरी हुई परातें बन जाएं...
आओ दोनों यह सुख-दुःख का जाम पी लेते हैं जो बची है ज़िन्दगी चलो एक साथ जी लेते हैं ! आओ दोनों यह सुख-दुःख का जाम पी लेते हैं जो बची है ज़िन्दगी चलो एक साथ जी लेते है...
एक कविता - : 'सबसे भूखा आदमी' एक कविता - : 'सबसे भूखा आदमी'
‘गुडिया’ सी नुमाइश करती है फिर वह ‘टीवी’ ‘फ्रिज’ स्कूटर’ हो जाती है . ‘गुडिया’ सी नुमाइश करती है फिर वह ‘टीवी’ ‘फ्रिज’ स्कूटर’ हो जाती है .
मेरे प्यार करने का मेरे लिखने का लहज़ा हो तुम मेरे प्यार करने का मेरे लिखने का लहज़ा हो तुम
मुझ में अच्छे गुण भी हैं और बुरे गुण भी हैं मुझ में अच्छे गुण भी हैं और बुरे गुण भी हैं
मेरे सपने...। मेरे सपने...।
ये कविता महज़ एक आत्मा की उत्पत्ति है ये कविता महज़ एक आत्मा की उत्पत्ति है
कोरे कागज़ पर रंग बिरंगी स्याही से, दिल के अरमानों को उकेरा था! कोरे कागज़ पर रंग बिरंगी स्याही से, दिल के अरमानों को उकेरा था!
वात्सल्य उनकी आँखों का वर्णन से है दूर बहुत वात्सल्य उनकी आँखों का वर्णन से है दूर बहुत
और हमारे प्यार से रिश्ता अब सपनों की दुनिया मे निभाया करो और हमारे प्यार से रिश्ता अब सपनों की दुनिया मे निभाया करो
महानगर में हाउसवाइफ महानगर में हाउसवाइफ
यह बहती नदी भी मैं आज से तुम औरतों के हवाले कर रहा हूँ यह बहती नदी भी मैं आज से तुम औरतों के हवाले कर रहा हूँ
कोई जगह कोई दहर हो जहाँ वक़्त न पंहुचा हो अभी भी बेवक़्त पहुँचेंगे वहाँ और बैठे रहेंगे सोचा क... कोई जगह कोई दहर हो जहाँ वक़्त न पंहुचा हो अभी भी बेवक़्त पहुँचेंगे वहाँ और ...
भीड़...। भीड़...।
उन यादों को मन कभी ना भूल पाएगा ताउम्र यादों को जेहन में लेकर चलता जाएगा। उन यादों को मन कभी ना भूल पाएगा ताउम्र यादों को जेहन में लेकर चलता जाएगा।
भर दे एहसास अपने होने का कि मैं हूं ना सिर्फ तुम्हारे लिए, स्त्री बस यही तो चाहती ह भर दे एहसास अपने होने का कि मैं हूं ना सिर्फ तुम्हारे लिए, स्त्री बस यही तो ...
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