किसान हैं देश के असली जवान
किसान हैं देश के असली जवान
देखो धूप में तड़प रहा है अपना जीवन चलाने के लिए,
चलती है दुनिया उस के बल पर वह है बड़ा शक्तिशाली,
शहर के लोगों तुम क्या जानो,
किसान हैं देश के असली जवान।
मातृभूमि की सेवा करके दूसरों को जीवन देता है,
इतनी आसानी से कोई किसान नहीं बन पाता है,
शहर के लोगों तुम क्या जानो,
किसान है देश के असली जवान।
बाबू लोग पसीने को सुखाकर वेतन पाते हैं,
किसान लोग पसीने बहाकर उन्हें रोटी दिलाते हैं,
शहर के लोगों तुम क्या जानो,
किसान हैं देश के असली जवान।
जिनके बिना यह मातृभूमि भी प्यासी रह जाती है,
जिनके बिना यह मातृभूमि बंजर सी बन जाती है,
शहर के लोगों तुम क्या जानो,
किसान हैं देश के असली जवान।