किनारे आ गये
किनारे आ गये
जिनको देखा था ख्वाब में कभी
वो सामने हमारे आ गये।
रब से मांगे थे दो फूल हजारी के
मगर झोली में सितारे आ गये।
रंगीनियाँ कभी हमने न चाही थीं
किस्मत के दहले से नजारे आ गये।
हम तलाशते थे खिलौने शीशे के
मगर हाथ में गुब्बारे आ गये।
कहता है पवन बार-बार साथियों
जो सच की राह पर चले
वो तूफां से लड़के भी किनारे आ गये।