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Kunal Meghwanshi

Abstract

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Kunal Meghwanshi

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ख्वाईशों की दुनिया

ख्वाईशों की दुनिया

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छोटा सा ही सही एक आशियाना चाहता हूँ

हवाओं के रुख से दूर मैं एक मेहखाना चाहता हूँ

जहाँ पहुँचने का खयाल भी न आया हो किसी को 

हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ।


जहाँ सफर का अंत तय न हो 

जहाँ वक्त की सुईयो का भय न हो 

आसमान से दूर मैं ज़मीन से खफा होना चाहता हूँ

जहाँ पहुँचने का खयाल भी न आया हो किसी को 

हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ।।


जहाँ मेरी खामोशिया भी गूँजने लगे 

जहाँ मेरी झूठी मुस्कुराहटे भी ऑंसूओ में बदलने लगे 

जहाँ मेरी कलम बेख़ौफ़ होकर लिख सके 

जहाँ मेरे अल्फाजो को कोई माईना मिल सके

इस बड़ी सी दुनिया से दूर में अपना छोटा सा

एक जँहान बनाना चाहता हूँ 

जहाँ पहुँचने का खयाल भी न आया हो किसी को 

हाँ मैं ऐसी ही किसी जगह जाना चाहता हूँ।


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