ख्वाबों की उम्मीद
ख्वाबों की उम्मीद
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मैंने देखा उसकी आंखों में,
ना नमी थी ना कमी थी।
रंगने को ख्वाहिशों का कैनवास,
बस ख्वाबों की उम्मीद बनी थी।
सात रंगों की छतरी तले,
छूने को सारा जहां।
नैनो की पलकों में,
उम्मीद की तस्वीर बनी थी।
लिए पंख आत्मविश्वास के,
उड़ने को हौसलों की उड़ान।
आंधी तूफानों से बचा कर,
पलके उस तस्वीर की प्रहरी बनी थी।
तस्वीर के रंग ना हो धुंधले कहीं,
निराशा के अश्रु़ओं से।
यही सोचकर अब उन आंखों में
होली पर न नमी थी ना कमी थी।