ख्वाबों का कारवां...
ख्वाबों का कारवां...
बुनते है कुछ ख़्वाब
उधड़ते है कुछ ख़्वाब
थोड़े से ख़्वाब के लिए क्या क्या सहते है ये ख़्वाब !
बहुत कुछ कहते है ये ख़्वाब
आंखों में रहते है ये ख़्वाब
अपने चाहतों कि उड़ान में लगे रहते है ये ख़्वाब !
दिल का आईना होते है ये ख़्वाब
हर धड़कन में कुछ ना कुछ पिरोते है ये ख़्वाब !
बंधन किसी का ना सहते है ख़्वाब
बंदिशों से परे रहते है ये ख़्वाब !
किसी के अधूरे किसी के पूरे होते है ये ख़्वाब
हो जाए गर पूरे तो हवा में ऊंचा बहते है ये ख़्वाब !