My creativity chuimui si Neha

Abstract

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My creativity chuimui si Neha

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बंधन सुहाना

बंधन सुहाना

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रक्षाबंधन का त्योहार जो मनाना है तो मायके तो जाना है 

सावन के महीने में मां के हाथ के गरमा गरम पकोड़े जो खाना है !


भाई को फिर से एक बार सताना है

बहुत दिन से कोई जिद्द पूरी नहीं हुई

मायके में जाके फिर से अपनी जिद्द मनवाना है !


मायके की तो हर बात निराली है 

हाथो पे मिलती गरम चाय की प्याली है

बीते दिनों के किस्से जब रात में खुलते है

सभी लोग फिर ठाहके लगाकर हस्ते है !


याद करते है बचपन का वो ज़माना

ना कोई दुनियादारी की रंजिशें

ना कोई जिमेदरियों का फसाना

बस बैठे बैठे बिना बात के यू ही मुस्कुराना

रक्षाबंधन के दिन उन सब यादों को

एक बार फिर से दोहराना !


बहन का भाई के हाथ पर रक्षा का सूत्र बांधना 

फिर कान पकड़कर अपना नेक मांगना

भाई का शरारतें कर हाथ में 1रुपए थमाना

रक्षाबंधन के दिन ही याद आता है बचपन पुराना !

 

बहन का भाई पर एक बार फिर अधिकार जताना

चाहें हो बचपन या हो पचपन हर उम्र के

लोगों का खुशी से इस त्योहार को मनाना

रक्षाबंधन ही एक ऐसा बंधन है

जिसका इंतजार करता है सारा जमाना !


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