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KAVY KUSUM SAHITYA

Abstract

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KAVY KUSUM SAHITYA

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ख्वाब

ख्वाब

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यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने

अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने                        


लाख तूफानों में गिरती संभलती जिंदगी में

दुनिया कि खुशियों का चिराग जलाया हमने        


यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ

हमने अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने          


चाहतो कि किश्ती का मांझी दुआओं

कि मोहब्बत हद हस्ती का पतवार।           


 तकदीर के इम्तिहान तमाम वक्त

बेवफाई के हसतै जख्म बेशुमार।            


 हँसते जख्मों को जिन्दगी का नूर बनाया हमने            

यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने

अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने            


हर सुबह का सूरज मेरे बज्म का

वजूद हर शाम नया नज़्म गुनगुना‍या हमने        


 यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने

अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने       


चाँद कि चांदनी घने अंधेरों में

यादों के कारवाँ संग जिंदगी बिताया हमने           


यादों के तरानेा में पलके हैं बिछाएँ हमने

अरमानों उम्मीदाै के ख्वाब सजाए हमने          


तूफानों की तरह जज्बात मोहब्बत

में मोहब्बत का पैगाम सुनाया हमने।    


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