खून खोलने लगता है
खून खोलने लगता है


वे बोले - सभ्य होने से काम नहीं चलेगा
कामुकता चाहिए, ग्लेमर चाहिए
शर्म बेच खाओ और उतारने शुरू करो कपड़े
आजकल नंगों की ही इज़्ज़त है
नंगों का ही नाम है
हमाम में नंगे होने से काम नहीं चलता
भरे बाजार में नंगा होना पड़ता है
मजबूरी थी, फिर पैसा और प्रतिष्ठा किसे प्यारा नहीं होता
मैं भी नंगों में शामिल हो गया
लेकिन जब कोई बेशर्म जैसे शब्द कहता है
खून खोलने लगता है मेरा।