खजाना
खजाना
यादें, हाँ, यादों का ही तो है
अब मेरे पास खजाना...
कुछ हँसती, कुछ रोती, कुछ रूठती
और कुछ मनाती यादों का नजराना..
तुम्हारा मुझे देखकर
यूँ चोरी चोरी मुस्कुराना...
मेरे साथ समोसे खाना या फिर
बताशों की शर्त लगाना...
उपहार बोल मेंढक की हड्डियों को
मेरे हाथ में पकड़ाना...
और फिर परीक्षा के डर को
मेरे दिल से भगाना...
मेरे आचँल से अपना ना दिखायी देने वाला
पसीना पोंछ जाना...
फिर आखिरी मुलाकात पर
अपनी रात भर की गीली आँखों को छिपाना...
खुद रोते हुए भी मुझसे
हमेशा मुस्कुराने का वादा ले जाना...
जिन्दगी में नहीं हो फिर भी
हर रात अब तुम्हारा मेरे सपनों में आना...
बिसरी यादों के याद आते ही
मेरा गुलाबों की तरह महक जाना...
बहुत याद आता है मुझे आज भी
तुम्हारा प्यार से मुझे नोना बच्चा बुलाना...