ख़्वाब
ख़्वाब
बंद आँखों से देखे जाने वाले ख़्वाब,
नींद के साथ हवा हो जाते हैं,
लेकिन खुली आँखों से देखे हुए ख़्वाब,
नींदें तक उड़ा देते हैं।
अगर अपने ख़्वाब के साथ जीना है,
तो अपने प्रयासों के बिछौने पर,
ख्वाहिशों का सिरहाना लगाकर,
उम्मीदों की चादर तानकर सोना है।