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Randheer Rahbar

Abstract

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Randheer Rahbar

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"ख़ाली हाथ"

"ख़ाली हाथ"

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ना कुछ तेरा, 

ना कुछ मेरा,

जग की ये सौगात। 

कर्मयोग को लिए साथ में,

जाना ख़ाली हाथ। 


धन दौलत सब मैल हाथ का,

रही है बस एक रैन का। 

बीच भंवर में छूट गए जब,

लगी है कैसी आस ?

कर्मयोग को लिए साथ में,

जाना ख़ाली हाथ।


क्यूँ फिर सोच विचार ये राही? 

छूट गया जब तुमसे साहिल। 

न कोई बंधू होगा,

ना कोई पथिक साथ। 

कर्मयोग को लिए साथ में

जाना ख़ाली हाथ। 


फिर कैसे ये धर्म के झगड़े ?

फिर कैसी ये लड़ाई ?

पहले सब इंसां हैं,

ना कोई हिन्दू - मुस्लिम,

ना कोई सिक्ख - ईसाई।

 

बंधन सबका एक हैं भैया,

आपस में सब भाई - भाई। 

ना मंदिर - ना मस्जिद,

ना काबा और कैलाश। 

कर्मयोग को लिए साथ में

जाना ख़ाली हाथ। 


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