कहे वाल्मीकि,रामायण सार!
कहे वाल्मीकि,रामायण सार!
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
कहे वाल्मीकि, रामायण सार।
रघुवीर रीत सदा चली आए..
प्राण जाए पर वचन बरकरार
वचन रघुपतीके, रचाए रावण संहार
धर्म विजयी, धुत लंकापती की हार।
धनुष टूटा, ब्रम्हांड रूठा
भरम भोले का, कर झूठा
जानकीवल्लभ संग सवार
सीता गए अयोध्या पधार
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
कहे वाल्मीकि, रामायण सार।
सत्यवाक सत्यविक्रम सत्यव्रत राम सदा
दशरथ के वचन, वो कैकई को कर अदा
निकले वनवास, जानकी संग लक्ष्मण धनुर्धार
स्वर्णमृग से ठगे, सीताहरण किए दशानन धार।
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
कहे वाल्मीकि, रामायण सार।
संजीवनी ले प्राण बचाए
उदधिक्रमण हनुमान आए
प्रभु मुद्रिका, मैया को चढ़ाएं
पूछ भभके, फिर लंका जलाए
सीता भंजन में व्याकुल श्रीराम
दरदर समंदर सेतु बना लंका पार।
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
कहे वाल्मीकि, रामायण सार।
कतलेआम जान कही
रक्तचरित्र के जाम कई
दसवें रोज रचाए दशानन संहार
सितासहित, सितापती घर प्रस्थान
धन्य हुई अयोध्या, मनाए त्योहार
दशहरा दीवाली, बांटे स्नेह उपहार
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
कहे वाल्मीकि, रामायण सार।
इतिहास मुकर्रर है अंकित
तू सुन तोह ले एक बार ।
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
बयां कैसे हो बस लफजो में चार।
सत्य, धर्म, मद और प्यार,
कहे वाल्मीकि, रामायण सार।