खामोशी
खामोशी
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अक्सर लिखते लिखते
यूँ ही एक ख्याल आता है
वो कभी मेरी खामोशी ही
क्यों नहीं पढ़ लेते।
अक्सर लिखते लिखते
यूँ ही एक ख्याल आता है
वो कभी मेरी खामोशी ही
क्यों नहीं पढ़ लेते।