खामोशी
खामोशी
अपने ईमान और खुद्दारी से ज्यादा कीमती दौलत
और कोई नहीं है हमारे पास।
उसी के दम पर तो जिंदा है।
वरना जिल्लत, खामोशी,
और वक्त की नजाकत के अलावा
हमारी झोली में ज्यादा कुछ नसीब कहां हुआ है!!!
छुपी अपने आप में एक कहानी है एक आवाज हैl
पर शायद कोई सुनना नहीं चाहता।
और अब मैं बयान करने से रही।
कहने के लिए तो बहुत कुछ हैl
पर जो लफ्जों में ना समझ सके..
वो चुप्पी भी कहां समझेंगे!
वक्त आने पर दबे पांव चले जाना ही बेहतर होगाl
