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Sheetal Panwar Verma

Tragedy

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Sheetal Panwar Verma

Tragedy

खामोशी बयां करती है

खामोशी बयां करती है

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खामोशी बयां करती है,

 कि दर्द बहुत गहरा है, 

 चोट लगी है सीने में, 

 और जख्म अभी हारा है।


है कशमकश इस दिल में, 

कि साथ मेरे क्या हुआ है, 

यूं तो बह रहा था समंदर में, 

फिर भी धोखो की आग में जला हूं मैं।


कहने को शब्द कहां,

अब बेजुबान सा रह गया हूं मैं,

मेरी खामोशी बयां करती है, 

के अब अंदर से भी टूट गया हूं मैं।।



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