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waseeq qureshi

Abstract

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waseeq qureshi

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कभी अचानक से

कभी अचानक से

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किसी महफ़िल में लबों पर बेतहाशा ख़ुशी सजी होते   

हुए भी , अचानक आँखों का अश्कों से भर जाना !


और हाँ कभी तन्हाइयों में रोते हुए 

अचानक से होंठों पर हंसी खिल जाना ! 


किसी बज़्म मैं सबके साथ होते हुए 

भी इक पल के लिए खुद को तन्हा पाना !


या कभी कभी हर चीज के होते हुए भी 

हर चीज का बे मतलब सा लगने लग जाना !


बस यही इक ज़िन्दगी का पल है 

जो अब तक समझ न आया क्यों होता है ऐसा ?   


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