कभी अचानक से
कभी अचानक से
किसी महफ़िल में लबों पर बेतहाशा ख़ुशी सजी होते
हुए भी , अचानक आँखों का अश्कों से भर जाना !
और हाँ कभी तन्हाइयों में रोते हुए
अचानक से होंठों पर हंसी खिल जाना !
किसी बज़्म मैं सबके साथ होते हुए
भी इक पल के लिए खुद को तन्हा पाना !
या कभी कभी हर चीज के होते हुए भी
हर चीज का बे मतलब सा लगने लग जाना !
बस यही इक ज़िन्दगी का पल है
जो अब तक समझ न आया क्यों होता है ऐसा ?
