मैं अब भी ज़िंदा हूँ !
मैं अब भी ज़िंदा हूँ !
करके अटैक चेहरे पर तूने मेरी रंगत को तो घटा दिया ,
लेकिन ये सच है तूने मुझमे इक दुर्गा को जगा दिया !
मेरे जिस्म को झुलसाया है तूने , मेरी हंसी को तूने छीना है !
मैं थी पहले हवा सी चंचल , अब आग बन कर जीना है !
तुझे तो इश्क़ था मुझसे फिर ये काम क्यों तूने कर डाला ,
मेरी ज़रा सी ना पर तूने मेरे चेहरे को ही जला डाला !
मेरे शरीर को ही तूने नष्ट किया है मेरी रूह अब भी ज़िंदा है ,
मैं लड़ूंगी अब तुम जैसे जालिमों से
क्यूंकि मेरा आत्मसम्मान अब भी ज़िंदा है !
चलो छोड़ो ये सब बातें ज़रा जवाब दो मेरे सवालों का ,
मानो मैं कर लूं अब स्वीकार तुम्हारा इश्क़
तो क्या अब तुम स्पर्श करोगे मेरे जले गालों का !
तू प्यार करता था न मुझसे चल तूने उसका सिला दिया ,
जा मैंने तुझको माफ़ कर तुझे तेरी नज़रों में गिरा दिया !
