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waseeq qureshi

Others

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waseeq qureshi

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मैं अब भी ज़िंदा हूँ !

मैं अब भी ज़िंदा हूँ !

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करके अटैक चेहरे पर तूने मेरी रंगत को तो घटा दिया ,

लेकिन ये सच है तूने मुझमे इक दुर्गा को जगा दिया !


मेरे जिस्म को झुलसाया है तूने , मेरी हंसी को तूने छीना है !

मैं थी पहले हवा सी चंचल , अब आग बन कर जीना है !


तुझे तो इश्क़ था मुझसे फिर ये काम क्यों तूने कर डाला ,

मेरी ज़रा सी ना पर तूने मेरे चेहरे को ही जला डाला !


मेरे शरीर को ही तूने नष्ट किया है मेरी रूह अब भी ज़िंदा है ,

मैं लड़ूंगी अब तुम जैसे जालिमों से 

क्यूंकि मेरा आत्मसम्मान अब भी ज़िंदा है !


चलो छोड़ो ये सब बातें ज़रा जवाब दो मेरे सवालों का ,

मानो मैं कर लूं अब स्वीकार तुम्हारा इश्क़ 

तो क्या अब तुम स्पर्श करोगे मेरे जले गालों का !


तू प्यार करता था न मुझसे चल तूने उसका सिला दिया ,

जा मैंने तुझको माफ़ कर तुझे तेरी नज़रों में गिरा दिया !


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