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waseeq qureshi

Others

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waseeq qureshi

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मंज़िल मिल जायेगी

मंज़िल मिल जायेगी

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तुम्हे मंजिल चाहिए तो रास्तों पे चलना होगा

तुम्हे बारिश में भीगना धूप में जलना होगा


तुमको मिल जाएंगे राहों में हज़ार गिराने वाले

गिर के हर बार तुम्हें खुद ही सम्भलना होगा


रास्ते कब किसके लिए खुद को बदलते हैं

यक़ीनन तुम्हें खुद ही सही राह पे चलना होगा


हर तरफ अजीब तरह की भीड़ नज़र आती है

जो होना है रोशन तो भीड़ से निकलना होगा


चार सू इन कुर्सी वालों ने ज़हर घोल रखा है

लिहाज़ा इस फिज़ा से हमें ही निकलना होगा


इतनी आसानी से गुल मिला नहीं करते वसीक़

गुल की तलाश है तो खार पे भी चलना होगा


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