कौन हूँ मैं
कौन हूँ मैं
कौन हूँ मैं एक बेटी एक पत्नी या एक माँ
जीवन की जद्दोजहद में कहीं खो सी गई हूँ मैं
सुबह आँख खुली तो ज़िम्मेदारियों ने घेर लिया
पास बैठे बच्चों के आंसुओं ने हाथ से काग़ज़ कलम छिन लिए
ज़रूरत नही है पैसों की ,खुद के लिए
कमा तो शुरू से रहे थे औरों के लिए
समय ख़राब कहकर बड़ों ने झुकने को कह दिया
ज़रूरत के समय हमसफ़र ने साथ छोड़ दिया
बड़े बड़े वादों को दरकिनार कर काल कोठरी में अकेला छोड़ दिया
कहने को सब है साथ में पर मैं खुद ही नही बची हूँ अपने आप मैं ।