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Abhinav Raj

Abstract

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Abhinav Raj

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काश कि हम दोस्त ही रहते

काश कि हम दोस्त ही रहते

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एक दिन जिंदगी ऐसे मुकाम पर पहुँच जाएगी

दोस्ती तो सिर्फ़ यादों में ही रह जाएगी

हर बात दोस्तों की याद दिलायेंगी।

और हँसते हँसते फिर आँख नम हो जाएगी

ऑफिस के रूम में क्लासरूम नज़र आयेंगी

पैसा तो बहुत होगा

लेकिन खर्च करने के लम्हें काम हो जायेंगें।

जी ले खुल के इस पल को मेरे दोस्त।

जिंदगी इस पल को फिर से नहीं दोहराएगी



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