काश होता मैं
काश होता मैं
काश होता मैं झोंका तोः जुल्फों को तेरी हटाकर चहरे से तेरे मैं सजा दूं
काश होता मैं बादल बरसने को तुझपे हो जैसे के बारिश मैं खुद को वजह दूं
काश होता मैं धूप तोः सूरत तेरा देख खिलता सुबह हर दिन जैसे कोई फूल
काश होता हसीं तेरी तोः होंठो पे तेरे रहता हमेशा हो जितना फ़िज़ूल
काश होता मैं...
काश होता तेरा लट तोः सेहलता आहिस्ते गालोंको तेरी मैं जब भी तू चलती
काश होता मैं बिंदी तोः माथे पे तेरे रहता जब भी तुझको मेरी कमी खलती
काश होता मैं ख्वाब तो आता मैं हर दिन बिना किसी चूंक बस तेरे ही सपने में
काश होता मैं पागल, तोः ज़ेहन में तुझको ही लेके मैं चलता, खोया रहता अपने में
काश होता मैं...
काश होता मैं घड़ी तोः तेरी कलाइयों पे समय की डोर से हर एक पल को बाँधु
काश होता मैं अल्हड़ पतंगा तू लौह, तोः तुझमे समाके मैं अपना ही जान दूँ
काश होता मैं दर्पण तोः तुझको मैं बचपन से हर खुशी गम में हमेशा देखता
काश होता मैं आँचल तोः लेके आगोश में तुझको तेरे कमर पे आके रुकता
काश होता मैं...
काश होता मैं काजल तोः पलकों पे तेरे ठहरते आंसुओ को देता मैं पोंछ
काश होता मैं धड़कन और तू होती दिल, अलग न होता जैसे दिमाग से सोच
काश होता मैं सुर, तोः हलक से अलग सा निकल के जुबां से तेरे मैं फिसलता
काश होता मैं तीली और तू होती दिया, तो तेरे लिए मरते दम तक मैं जलता
काश होता मैं...
काश होता मैं...
काश होता मैं...