"कारनामे"
"कारनामे"
कारनामे परत दर परत
खुलते जा रहे हैं
प्यार भी एक कारनामा है,
कपड़ों की परत खोलने से
प्रेम नहीं होता,
आत्मा के परत खोलने से होता है!
किसी व्यक्ति की प्रेम-आत्मा को
छूने के लिए
सबसे गहरी परत तक
पहुंचने की जरूरत है,
अन्यथा,
नवजात और मुर्दे भी नग्न होते है!!!
