कारगिल की चोटी से
कारगिल की चोटी से
घुस आया धोखे से दुश्मन
पर वीरों ने मार भगाया था।
दिया जवाब करारा उनको ,
छट्ठी दूध याद कराया था।
काँप उठे हृदय कायरों ,
हिन्द जवानो की ललकारो से
थर थर थर्राए वीरों के यलगारों से।
चुन चुनकर मारा सबको
मौत की नींद सुलाया था।
लाख लगाया ज़ोर दुशमन ने
भारत पर ज़ोर चल न सका,
चाहा धकेल पीछे कर दे वीरों
थक हारा पाँव भारत हिल न सका।
विजय हुई जवानो ने झण्डा,
कारगिल की चोटी से लहराया था।
शत शत नमन वीर शहीदों ,
नमन है तुम्हारी जननी को।
सदा अमर रहेगा नाम तुम्हारा।
जबतक आबाद रहेगा हिन्द हमारा।
विश्व विजयी है हिन्द देश ,
वीरों ने दुशमन को याद दिलाया था।