STORYMIRROR

Uday Raj Verma Uday

Abstract

4.5  

Uday Raj Verma Uday

Abstract

जय किसान

जय किसान

1 min
114


जय किसान

भूखे-प्यासे रह कर भी

धूप छांव या हो वर्षा की

 फुलझड़ी

खेतों में रात दिन 

डटे रहते


तब कहीं जाकर

फसल होती तैयार

ऊपर से ओले अतिवृष्टि

अनावृष्टि का खतरा

और ऊपर से

नील गाय गाय से बचाव


के बाद जब अनाज घर

आता दुकानदार

औने पौने दाम लगाता

सरकारी दुकानें

पैसे के लिए लम्बा

इंतजार करवाती


घर खर्च बेटी की शादी

बच्चों की शिक्षा

पत्नी की दवाई

ये दशा जब किसान 

झेल न पाता तो

उसे आत्महत्या का

उदय मार्ग नजर आता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract