Uday Raj hindustanu

Abstract

4  

Uday Raj hindustanu

Abstract

कसूर

कसूर

1 min
504


तुम जाना चाहते हो तो चले जाना

मगर जाने से पहले एक बात तो बता जाना

मेरा कसूर क्या है ?


जो तुम मुझे तन्हा तड़पा रहे हो

प्लीज बता तो जाना

खैर तुम क्या बताओगे ?

मैं ही बताता हूं।


यही है कि मैंने तेरा प्यारा प्रस्ताव हमेशा

के लिए स्वीकार कर लिया था

अरे माली! तुम चाहते हो गुलशन की

प्यार भरी मुस्कराहट को छीनना


अगर कहो तो तेरे लिए सारा जहां छोड़ जाऊं

तुमने तो मिलने के वक्त के वो वादे,कसमें 

ओ बेताबियां भूला दिया 

कहो तो सारा जहां भूल जाऊं


तुम चाहो तो मैं तनहा जी लूंगा

मगर याद रखना तुम न जी सकोगे 

न मर सकोगे

एक बात याद रखना उदय की

मुझसे ज्यादा तुम तड़पोगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract