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Vaibhav Dubey

Abstract

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Vaibhav Dubey

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जय भारत

जय भारत

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वैसे तो हमारे सभी तीर्थ पूज्य वंदनीय

किन्तु कोई दूसरा न तीर्थ है प्रभास सा

वैसे तो विधाता ने बनाये सभी मास किन्तु

दूसरा न वैभव है कोई मधुमास सा 

वैसे तो सराहनीय सबके प्रयास किन्तु

दूजा न प्रयास कोई शाँति के प्रयास सा

वैसे तो हजारों इस देश में है नेता किन्तु

दूजा नेता यहाँ कोई हुआ न सुभाष सा


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